बौद्ध धर्म के अनुसार स्वप्न के कारण और आने की वजह

बौद्ध मनोविज्ञान के मुताबिक सपने मानसिक और क्रियात्मकता के कारण होने वाली काल्पनिक-प्रतिक्रियाओं का होते है। इस तरह से बौद्ध धर्म नींद व सोने की प्रक्रिया को पांच स्तरों में विभाजित करता है – जो की इस तरह से है।

  • उनींदापन
  • झपकी वाली नींद
  • गहरी नींद
  • हलकी नींद
  • जाग्रतवास्था

नागसेन नामक एक महान व्यक्ति थे, वह बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। उन्होंने अपनी एक पुस्तक “मिलिंद-पंद” राजा मिलिंद के प्रश्न नाम की एक पुस्तक लिखी थी उसमे सपनो के महत्त्व व उनके कारणों के बारे में बताया था, उनके मुताबकि स्वप्न के कारण निम्न है :- बौद्ध धर्म के अनुसार सपने के प्रकार व सपने आने का कारण यह है ।

  • जैविक
  • वात पित्त
  • कफ
  • अलौकिक शक्तियां
  • पूर्वानुभूतियो का फिर से उत्थान होना
  • भविष्य में घटने वाली घटनाओ का प्रभाव

इनसे से भविष्य में घटने वाली घटनाओ के सपने सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते है, बाकी सपनो का कोई विशेष महत्त्व नहीं होता। बौद्ध धर्म के अनुसार इन बताये गए छह कारणों की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है, की आखिर सपने क्यों आते है ?

अगर इन 6 कारणों में से एक ही कारण महत्वपूर्ण है तो बाकी के 5 कारण के सपने क्यों आते है, उनका क्या अर्थ है ? जानिए।

बौद्ध धर्म के अनुसार स्वप्न संसार

1. मानव मस्तिष्क में उपजने वाला हर एक विचार अवचेतन में संभाला जाता है और हम एकत्रित विचारों में से कुछ हमारी परेशानियों को ध्यान में रख कर उनकी प्रकृति के अनुरूप हमारे मस्तिष्क को काफी हद तक प्रभाविक करते है। सोते समय इनमे से कुछ विचार कार्यवन्ति हो जाते है और वह हमारे सामने चलचित्र बनकर उभरते है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सोते समय बाहरी विश्व से हमारा संपर्क करवाने वाली पांचों इन्द्रियां कुछ समय के लिए स्थिर हो जाती है, इस कारण हमारा अवचेतन परिचय कराता है।

ये सपने मानसिक विज्ञानं के अध्यन के लिए जरुरी हो सकते है, लेकिन भवष्यवाणी से इनका कोई सम्बन्ध नहीं होता, ये सिर्फ आराम कर रहे मस्तिष्क का अक्स या छाया होते है। इसलिए इनका कोई फल नहीं होता न ही आपके भविष्य पर किसी तरह का असर होता है।

2. दूसरे तरह के सपने का भी कोई विशेष महत्त्व नहीं होता। यह सिर्फ कुछ आतंरिक और बाहरी कारणों के परिणास्वरूप आराम कर रहे मस्तिष्क में उभरने वाले दृश्य होते है।

आतंरिक कारण वह होते है जो हमारे शारीरिक संतुलन को बिगाड़ देते है, जैसे भारी खाना जो व्यक्ति को आराम की नींद नहीं लेने देता, या शरीर तत्वों में असंतुलन या विकर्षण होना। यानी शरीर में कोई तकलीफ होना, इस वजह से भी इस तरह के सपने आ जाते है।

बाहरी कारण उस समय प्रभावित करते है जब किसी प्राकृतिक घटना जैसे मौसम, वायु, ठण्ड, वर्षा, पत्तों का घर्षण, खिड़की की खत-खत आदि के कारण मस्तिष्क व मानसिक अवस्था में परिवर्तन होता है तथा मस्तिष्क इन्हे समझने व इनकी व्यख्या का प्रयास करते हुए कुछ मन-मस्तिष्क में दृश्य बनाता है।

हमारा मस्तिष्क अपने से इनकी व्याख्या करता है ताकि हमारी नींद में किसी तरह की कोई बाधा न हो। इन सपनो का भी कोई विशेष महत्त्व नहीं होता तो इन्हे समझने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इस तरह के सपने सिर्फ बाहरी हलचल से प्रकट होते है जो की निर्थक होते है उनका कोई फल नहीं होता।

3. एक और प्रकार के सपने है जो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओ के प्रति सचेत करते है। यह काफी जरुरी होते है। कभी-कभार ही हम ऐसे सपनो का अनुभव करते है।

आमतौर पर ऐसे सपने व्यक्ति तभी देखता है जब कोई महत्वपूर्ण घटना घटने वाली होती है। बौद्ध मतानुसार जिस विश्व में हम विचरण करते है उसके अतिरिक्त इस धरा पर एक और भी अदृश्य विश्व है।

इस अदृश्य विश्व में देवता या आत्माये विचरण करती है। जब कोई व्यक्ति अपने सुकर्म मृत व्यक्ति और देवताओं को अर्पित करता है तो वह व्यक्ति उन्हें याद करता है तथा इनसे मिलने वाली ख़ुशी व सुखों का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करता है।

इस तरह वह अपने मृत रिश्तेदारों के साथ मानसिक संपर्क स्थापित करता है इससे देवता उस पर प्रसन्न रहते है तथा उसका ध्यान रखते है। जब भी वह किसी बड़ी समस्या का सामना कर रहा होता है तो वे उसका मार्गदर्शन करते है और किसी भी संभावित खतरे से उसकी रक्षा करते है।

यही कारण है की जब भी हमारे (अगर हम ऐसा करते है तो) जीवन में कोई महत्वपूर्ण घटना घटित होने वाली होती है तो वे अपनी मानसिक शक्ति को हमारे मस्तिष्क में भेजते है। इन्हे हम स्वप्न के रूप में देखते है।

ये हमे संभावित खतरों के प्रति सावधान करते है या फिर अचानक मिलने वाली खुशखबरी के लिए तैयार करते है। यह सन्देश हमे प्रतीकात्मक रूप में प्राप्त होते है। बदकिस्मती से कई लोग इन सपनो व पहले वाले सपनो में फर्क नहीं कर पाते या उलझकर रह जाते है।

इसी कारण वे इन्हें समझने के प्रयास में अत्यधिक समय और धन व्यय करते है और कई पंडितों आदि के पास जाते है। इन्ही प्रयासों में वे झूठे माध्यमों तथा स्वप्न व्याख्याओं के चुंगुल में फंस जाते है।



4. हमारा मस्तिष्क “कार्मिक शक्तियों” का समूह है। जब किसी कर्म का प्रतिफल मिलने का समय निकट आता है तब मस्तिष्क आराम करते वक्त यानी नींद के समय निकट भविष्य में घटित होने वाली उस घटना का चित्र हमे दिखाता है।

यह कर्म कुछ वर्ष पहले का भी हो सकता है तथा कई जन्मो पुराना भी हो सकता है। इस तरह के सपने कभी कभार ही दिखाई देते है और वह भी उन्ही लोगों को जिनकी एक विशेष तरह की मानसिक सरंचना होती है।

हमारे अंतिम समय में यानी मरते वक्त अक्सर हमारे कर्म प्रतिक रूप में हमारे सामने आते है और हमे दिखाई देते है। हम तब भी सपने देखते है जब कोई दो व्यक्ति एक दूसरे को अत्यंत शक्तिशाली मानसिक तरंगों द्वारा सन्देश भेजते है।

जब कोई व्यक्ति अन्य किसी व्यक्ति से संपर्क स्थापित करना चाहता है तब वह उस व्यक्ति तथा उसे दिए जाने वाले सन्देश पर ध्यान केंद्रित करता है। इस तरह के सन्देश भेजने और प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय वही है जब मस्तिष्क आराम कर रहा होता है।

इस तरह के सपने केवल पल भर के लिए हमारे मनस पटल पर उभरते है क्योंकि इंसानी दिमाग इन्हे इस तरह अधिक ज्यादा समय तक रखने में असमर्थ होता है। सभी जिव सपने देखते है। अक्सर वे क्षण-भंगुर वस्तु को शाश्वत सत्य समझने की भूल कर बैठते है।

वे यह नहीं देखते की यौवन का अंत बुढ़ापा है, सुंदरता का अंत बदसूरती, स्वस्थ्य का अंत रोग तथा जीवन का अंत मृत्यु है। इस स्वप्न संसार में हम छलावे को ही हकीकत मान बैठते है। सोते समय स्वप्न देखना इस स्वप्न संसार का ही एक और स्वरुप है।

केवल वही लोग जाग रहे है जिन्होंने उस सच्चाई को समझ लिया है। बुद्ध और अरिहंत कभी सपने नहीं देखते। पहले तीनो तरह के स्वप्न उनके अंतर्मन में नहीं होते क्योंक्ति उनका मस्तिष्क पूरी तरह से स्थित होता है। ऐसे मस्तिष्क वाले व्यक्ति को सपने बिलकुल नहीं आते।

और चौथे, पाचवे या छटवे प्रकार के स्वप्न वो इसलिए नहीं देख पाते क्योंकि उन्होंने अपनी सभी तरह की इछाओ पर विजय प्राप्त कर ली है अब उनकी कोई अधूरी वासना या कामना बाकी नहीं रहती। एक तरह से उन्होंने अपनी सभी इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर ली होती है।

स्वप्न वास्तव में सत्य है अथवा असत्य मूलतः: यह मानव अनुभूतियों का भी विषय है, अगर मानव मस्तिष्क वृथा चिंतन का परित्याग कर शांत एवं पवित्र है तो जो स्वप्न उसके मस्तिष्क में आएंगे वे निश्चित ही सत्य होंगे।

अगर मस्तिष्क शांत नहीं है, मन व्रत ही भटक रहा है तो उसके स्वप्न मात्रा मानसिक परिस्थितियों के प्रक्षेपण होंगे जो कभी सत्य नहीं होते।



The Guru who teaches Dreams

1 Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published.

Congratulations !SignUp & Win the Giveaways

We conduct monthly Giveaways.

SignUp here & Get a Chance to win NepalGuru's Gift

We will email you soon. Stay Tuned.

error: Content is protected !!